असंतोष से सुलग रही हैं पुलिस की निचली कतारें
सहसपुर के विधायक की पिटाई को लेकर राजनीतिक रुप से खूब हंगामा मचा और पूरे शहर में यह चर्चा आम रही कि इस कांड के पीछे का सूत्रधार कोई और है। लेकिन इस कांड के पीछे कौन था, यह सच शायद ही कभी सामने आ पाएगा।
सहसपुर के विधायक राजकुमार की पिटाई को लेकर सत्तापक्ष के विधायकों और लालबत्तीधारकों ने खूब हल्ला मचाया और इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री को इस कदर घेरा कि लगा जैसे एक खेमे विशेष के विधायक इस मामले पर बगावत कर देंगे। इन विधायकों और नेताओं का तर्क था कि जब राज्य में विधायक ही सुरक्षित नहीं है तब आम आदमी के प्रति पुलिस का रवैया क्या रहता होगा? दिलचस्प बात यह है कि विधायक की पिटाई को लेकर जितनी एकजुटता विधायकों ने दिखाई उतनी एकता एक बार भी इन्होने तब नहीं दिखाई जब बाहरी लोगों के लिए प्रदेश में रोजगार के दरवाजे खोल दिए गए। इस हल्ले से राज्य के नेताओं का चरित्र उजागर हो गया। मजेदार बात यह है कि इस किस्से को लोगों ने चटखारे लेकर सुना और आम लोगों इसे लेकर पुलिस के खिलाफ नाराजगी नहीं देखी गई अलबत्ता लोग हैरान जरुर थे कि जो पुलिस विक्रम और थ्री ह्वीलर वालों के हाथों पिटती रही हो उसने विधायक को कैसे पीट दिया?
घटनास्थल के आसपास के लोगों के जरिये जो खबरें छनकर आईं उसके अनुसार विधायक के ड्राइवर ने दारोगा के साथ बदतमीजी की और उसके बाद विधायक ने उसे गाली दी। जिससे नया-नया आया दारोगा भड़क गया। भाजपा के कुछ नेताओं के अनुसार विधायक की पिटाई उच्चस्तर से मिले निर्देशों के आधार पर अंजाम दी गई। अपनी कहानी को सच बताते हुए इन नेताओं का कहना है कि इसीलिए तत्कालीन एसएसपी को प्रमोशन दिया गया। उनका दावा है कि राजकुमार चूंकि भाजपा के एक खेमे विशेष से जुड़े हैं इसलिए उन्हे काबू में रखने के लिए इस कांड को अंजाम दिया गया।
यह घटना पुलिस के भीतर नेताओं के खिलाफ बढ़ रहे असंतोष की बानगी है। पुलिस के उच्चस्तरीय सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में पुलिस के रोजमर्रा के कामों में हस्तक्षेप सभी सीमायें पार कर चुका है। उनका कहना है कि कालाढुंगी कांड ने अति राजनीतिक हस्तक्षेप से पैदा होने वाले खतरों पर चेताया था पर सरकार ने इस चेतावनी को अनसुना कर दिया। पुलिस के इन सूत्रों का दावा है कि पुलिस की निचली कतारों में हालात बेहद खराब हैं। बड़े नेताओं से लेकर छुटभये तक सिपाहियों, दारोगाओं और थानेदार स्तर तक के पुलिसवालों को आए दिन सार्वजनिक रुप से अपमानित करते रहते हैं। नेताओं की देखादेखी अब आम लोग भी पुलिसवालों को हड़का कर चल देते हैं। सूत्रों ने बताया कि कुछ विधायक तो पुलिसवालों से गालीगलौच से नीचे बात ही नहीं करते। उनका कहना है कि पुलिस के साथ बदसलूकी की घटनाओं का यह सिलसिला कोतवाल एमएस नेगी को हटाए जाने के बाद शुरु हुआ और अब यह रोग पूरे राज्य में फैल चुका है। उनका कहना है कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद तो राजनीतिक हस्तक्षेप महामारी का रुप ले चुका है। इस बीच यह भी चर्चा आम रही कि कुछ और विधायकों की भी पिटाई किए जाने के आसार हैं। बताया जाता है कि ऐसे पांच विधायक हैं जिनकी बदसलूकी से पुलिस परेशान है। इनमें दो विधायक देहरादून के हैं तो एक कुमाऊं का और दो गढ़वाल के हैं। सूत्रों का कहना है कि यदि जल्द ही पुलिस में निचले स्तर पर फैले असंतोष को दूर नहीं किया गया तो कभी भी कोई चिंगारी कालाढुंगी कांड से भी बड़े कांड को अंजाम दे सकती है।
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