यूं तो प्रदेश का उद्यान विभाग राज्य बनने के बाद से मृत पड़ा हुआ है लेकिन अब प्रदेश में हार्टीकल्चर को नया चेहरा देने के लिए सरकार प्रवासी उद्यान योजना लाने पर विचार कर रही है । इस योजना पर अगले दस सालों में 81 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है ।
उत्तराखंड का उद्यान विभाग राज्य के उन विभागों में शामिल है जो अफसरशाही के जनविरोधी रवैये के कारण अंतिम सांसे गिन रहा है । लगभग 3500 कर्मचारियों और अफसरों के इस विभाग के पास हालांकि प्रदेश में बागवानी क्रांति करने का जिम्मा है लेकिन विभागीय मंत्रियों और विभागीय अफसरों ने बागवानी विकास के बजाय फाइलों में बाग उपजाए और राज्य और केंद्र सरकार का करोड़ों रुपये बागवानी विकास के नाम पर डकारते रहे । वह भी तब जब पड़ोसी राज्य हिमाचल में बागवानी ने आम लोगों के जीवन स्तर में आमूल-चूल परिवर्तन कर दिया । हिमाचल में समृद्धि का जो रुख आज चमक रहा है वह बागवानी का ही करिश्मा है ।
हैरानी की बात यह है कि प्रदेश सरकार कर्मचारी और अफसरों पर हर साल 50 करोड़ रुपये खर्च करती है लेकिन बागवानी विकास के नाम पर उसके पास मात्र 14 करोड़ रुपये हैं । इसमें केंद्र से टेक्नोलाजी मिशन से मिलने वाले 20 करोड़ रुपये भी जोड़ दिए जाएं तब भी बागवानी पर 34 करोड़ रुपये ही खर्च होते हैं । बागवानी विभाग को प्रदेश के निठल्ले और भ्रष्ट विभागों में गिना जाता है । प्रदेश के बागवानों को कोई सेवा देना तो दूर उल्टे यह विभाग बागवानों को मिलने वाली सहायता को ही चट कर जाता है । पचास करोड़ रुपये वेतन भत्तों पर खर्च करने के बाद भी बागवानों के लिए यह विभाग निरर्थक और अनुपयोगी है । इसीलिए बीच में यह सुझाव भी आया था कि वेतन भत्तों पर इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बजाय सरकार को पचास करोड़ रुपये सीधे ग्रामीणों को उसान लगाने के लिए दे देने चाहिए । हालांकि यह योजना सिरे नहीं चढ़ी लेकिन अब सरकार सीधे ग्रामीणों को भागीदार बनाने की सोच रही है ।
प्रवासी उद्यान योजना के तहत प्रदेश सरकार ऐसे प्रवासियों के साथ 10 वर्ष के लिए एमओयू करेगी जो खुद खेती नहीं कर रहे हैं । ऐसे प्रवासी किसानों को मात्र 400 रुपये प्रति नाली की दर से एकमुश्त निवेश करना होगा । जबकि राज्य सरकार दस वर्ष में 16 करोड़ रुपये निवेश करेगी । 10 साल तक सरकार ही इन खेतों की देखभाल करेगी और इससे होने वाली आय में भूस्वामी और सरकार का हिस्सा आधा-आधा होगा । 11वें वर्ष पूर्ण रूप से तैयार यह बगीचा भूस्वामी को लौटा दिया जाएगा । उसान विभाग के सूत्रों का कहना है कि इससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार तो पैदा होगा ही साथ ही पलायन के कारण पहाड़ के गांवों की बंजर होती जा रही जमीन को नया जीवन मिलेगा । विभागीय सूत्रों का कहना है कि इन बगीचों की देखभाल उसी गांव का निवासी उसान मित्र करेगा ।
चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. लेखन के द्वारा बहुत कुछ सार्थक करें, मेरी शुभकामनाएं.
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अंतिम पढ़ाव पर- हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]
स्वागत है ।
जवाब देंहटाएंलिखते रहें ।
bada pyara sa shabd hai janpaksh, isme today ki jarurat nahin lagti....baki aapke vivek par...swagat hai
जवाब देंहटाएंहिंदी ब्लॉग लेखन के लिए स्वागत और शुभकामनाये
जवाब देंहटाएंकृपया दूसरे ब्लॉगों पर भी जाये और अपने सुन्दर सुझावों
से उत्साहवर्धन करें
gyaanvardhak jankariya dene ke liye dhnyavaad.
जवाब देंहटाएंu r welcome
जवाब देंहटाएंकमाल है। इतनी शुभकामनाएं। यह मैंने नहीं सोचा था। अभी तक बस सबकुछ यूं ही था। लगता है सीरीयस होना पडेगा। आप सभी के उत्साहवर्धन का धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंnarayan narayan
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