कवि और वरिष्ठ समाजसेवी राजेंद्र रावत के निधन पर कई पत्रकारों, साहित्यकारों और राजनीतिक नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया है । मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक ने राजू रावत के आकस्मिक निधन पर हार्दिक दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि स्व. राजू एक अच्छे लेखक और संवेदनशील कवि थे । उमेश डोभाल स्मृति न्यास के अध्यक्ष के रूप में वे पत्रकारों के हितों के लिए हमेशा संघर्षरत रहे तथा पुरस्कार योजना भी शुरू करवाई। श्री राजू के निधन से साहित्य और पत्रकारिता जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।
हिमालय जनर्लिस्ट एसोसिएशन ‘हिमजा’ साहित्य और सामाजिक जीवन की अपूर्णीय क्षति बताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है । हिमजा ने एक आकास्मिक बैठक कर प्रख्यात समाजसेवी व हिंदी कवि राजेंद्र रावत के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है । एसोसिएशन ने स्व. रावत को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शराब माफिया के खिलाफ उनके संघर्ष को याद किया ।
हिमजा की बैठक में वक्ताओं ने उन्हें जनसंघर्षों का योद्धा बताते हुए कहा कि पत्रकार उमेश डोभाल के हत्यारों को कानून के कठघरे तक पहुंचाने में स्व. रावत ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई । प्रख्यात हिंदी कवि पदम श्री लीलाधर जगूड़ी की अध्यक्षता में हुई बैठक में वरिष्ठ पत्रकार एस. राजेन टोडरिया, राष्ट्रीय सहारा के स्थानीय संपादक, माकपा नेता बची राम कौंसवाल, ईटीवी के ब्यूरो चीफ गोविंद कपटियाल, राजेश भारती, राजेश सकलानी, नई दुनिया के ब्यूरो चीफ महेश पांडेय, हिंदुस्तान के समाचार संपादक पूरन बिष्ट, वेदिका वेद, कमला पंत, राकेश खंडूड़ी, गिरीश डंगवाल, मीरा रावत, शीशपाल गुंसाई, अमेंद्र बिष्ट, मनमीत रावत समेत कई अन्य लोग मौजूद थे । प्रख्यात हिंदी कवि पदम श्री लीलाधर जगूड़ी ने राजेंद्र रावत के निधन को व्यक्तिगत क्षति बताते हुए कहा कि समाज व साहित्य में उनका योगदान सदा याद रखा जाएगा । दिल्ली से साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित कवि मंगलेश डबराल, लखनऊ से प्रख्यात पत्रकार गोविंद पंत राजू, महेश पांडे तथा वरिष्ठ पत्रकार प्रभात डबराल ने राजेंद्र रावत के योगदान को याद करते हुए कहा कि उनके निधन से जनसंघर्षों को प्रेरित करने वाला एक केंद्र खत्म हो गया है ।वरिष्ठ माकपा नेता बची राम कौंसवाल ने भी राजेंद्र रावत के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है ।
पौड़ी शहर के करीब स्थित च्वींचा गांव में जन्मे राजेंद्र रावत ने इंटर तक की शिक्षा पौड़ी में प्राप्त की और बीएससी की डिग्री उन्होंने बिड़ला डिग्री काॅलेज श्रीनगर से हासिल की । कई वर्षों तक उन्होंने गढ़वाल में भारतीय स्टेट बैंक स्टाॅफ एसोसिएशन का नेतृत्व किया और मजदूर आंदोलनों को नई दिशा दी । पौड़ी जिले में होने वाले कर्मचारियों और मजदूर आंदोलनों की वह धुरी बने रहे । बैंक की नौकरी के बावजूद वह आपातकाल में कांग्रेस के अत्याचारों का विरोध करते रहे । उन्हें पौड़ी जिले में वामपंथी आंदोलन का सूत्रधार माना जाता था ं उनकी इसी भूमिका के कारण शराब माफिया ने उनका अपहरण कर लिया और कोटद्वार के जंगलों में अधमरा छोड़ दिया । लेकिन रावत अपने रास्ते से नहीं डिगे । 1988 में जब शराबमाफिया ने उमेश डोभाल की हत्या की तो राजेंद्र रावत ने सबसे पहले मैदान में उतरकर पत्रकारों के इस आंदोलन की अगुआई की । उनके जीवट और पत्रकारों के आंदोलन का ही नतीजा था कि हत्यारों पर सीबीआई जांच का शिकंजा कसा ।
रावत पिछले पांच साल से ज्यादा वक्त से कैंसर से जूझ रहे थे । उन्होंने बीती रात सीएमआई देहरादून में अंतिम सांस ली । उनकी अंत्येष्टि श्रीनगर में हुई जहां भारी संख्या में लोगों ने जनसंघर्षों के इस योद्धा को भावभीनी अंतिम विदाई दी ।
गुरुवार, 17 दिसंबर 2009
जनसंघर्षों के योद्धा थे राजेंद्र रावत
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