शनिवार, 17 जुलाई 2010

140 करोड़ के घपले वाले पावर प्रोजेक्ट रद्द, सरकार बेनकाब

आखिरकार काफी थुक्का फजीहत के बाद उत्तराखंड सरकार ने 56 पनबिजली प्रोजेक्टों के करार रद्द कर ही दिए। एक स्थानीय पत्रिका और टीवी चैनल आज तक में इस घपले की पोल खोले जाने पर भी निडर बनी रही सरकार ने उच्च न्यायालय के खौफ से ये करार रद्द कर दिए। इस फैसले से सरकार की खासी किरकिरी हुई है तो दूसरी ओर कांग्रेस को यह मौका मिल गया है कि उसके द्वारा लगाए जा रहे भ्रष्टाचार के आरोप सही थे।इस फैसले से शर्मिंदा हुई भाजपा के निशंक और खंडूड़ी खेमे आमने -सामने आ गए हैं।



न्यूज चैनल ‘‘आज तक’’ पर पनबिजली घोटाले पर अपनी सरकार को पाक साफ बता रहे मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को आखिरकार उल्टा घूमना पड़ा है।छप्पन पनबिजली प्रोजेक्टों के करार को तब भले ही वह नीति के हिसाब से बिल्कुल सही कदम बता रहे हों और आवंटन में भ्रष्टाचार से साफ इन्कार करते नजर आए हों पर अब उन्होने भी स्वीकार कर लिया है कि आवंटन में धांधलियां हुई हैं।पनबिजली परियोजनाओं को लेकर दिये गए विज्ञापन को गलत ठहरा कर निशंक ने एक तरह से अपने निशाने पर पूर्व मुख्यमं़त्री खंडूड़ी को ले लिया है। मुख्यमंत्री के करीबी और उनके समर्थक एक स्वर में कह रहे हैं कि यह घपला खंडूड़ी के मुख्यमंत्री रहते हुआ है और मौजूदा मुख्यमंत्री तो इसमें खामखां फंसाए जा रहे हैं। उनका कहना है कि जनरल के कार्यकाल में ही पनबिजली प्रोजेक्ट आवंटित कर दिए गए थे।उनकी सफाई है कि मौजूदा मुख्यमंत्री ने तो इस पर केवल दस्तखत ही किए। उनके इस तर्क पर यकीन किया जाय तो यह साफ हो जाता है कि पावर प्रोजेक्टों के आवंटन में जो लेन देन हुआ है वह जनरल के ही कार्यकाल में हुआ और मौजूदा मुख्यमंत्री इस मामले में बिल्कुल पाक-साफ हैं। इसका सीधा अर्थ है कि मुख्यमंत्री के करीबी प्रकारांतर रुप से बता रहे हैं कि जनरल का दामन दागदार है। मुख्यमंत्री ने जनरल से भेंटकर और उस भेंट की खबरें मीडिया में उछलवाकर जनरल को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश भी की है। जाहिर है कि पनबिजली प्रोजेक्टों पर उठे घोटाले बवंडर को खंडूड़ी की ओर मोड़ने की कोशिशें चल रही है।


उधर जनरल खेमे का कहना है कि यदि मुख्यमंत्री यह मानते हैं कि प्रोजेक्टों का आवंटन खंडूड़ी के कार्यकाल में हुआ है तो जनरल ही नहीं बल्कि वे सभी लोग इसकी सीबीआई जांच के लिए तैयार हैं। बताया जाता है कि पनबिजली प्रोजेक्ट के आवंटन में हुए घपले के आरोपों और मीडिया में इसके उछलने से चिंतित भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी पनबिजली प्रोजेक्टों से संबधित पूरी फाइल अपने साथ ले गए थे। उच्च न्यायालय में इस मामले में दाखिल याचिकाओं के नजरिये से इसके कानूनी पहलुओं का अध्ययन करने के लिए गडकरी ने इसे अरुण जेटली को सौंपा । सूत्रों के अनुसार आवंटन के सारे मामलों के अध्ययन के बाद जेटली ने गडकरी को बताया कि इसमें इतनी अनियमिततायें हैंकि सरकार को अपना बचाव करना मुश्किल होगा। बताया जाता है कि उन्होने सुझाया कि सरकार के पास इन करारों को रद्द करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। बताया जाता है कि प्रोजेक्टों के करार को बचाने की आखिरी कोशिश के तौर पर उच्चस्तरीय एक नेता ने भाजपा नेता और नामी वकील रविशंकर प्रसाद को भी यह फाइल दिखाई लेकिन उनकी राय भी जेटली की राय की तरह ही रही।इसके बाद भाजपा आलाकमान ने मुख्यमंत्री को यह करार रद्द करने का निर्देश दिया।

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