शनिवार, 31 अक्तूबर 2009
पर्यावरण पर शिमला घोषणा पत्र जारी
हिमाचल के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने हिमालय में टिकाऊ विकास के लिए शिमला घोषणापत्र जारी करते हुए कहा कि हिमालयी राज्यों को मिलजुलकर मौसम परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करना चाहिए । मुख्यमंत्रियों के शिखर सम्मेलन ने हिमालयी क्षेत्रों में टिकाऊ विकास के लिए एक फोरम गठित करने पर आम सहमति व्यक्त की । सम्मेलन में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने पर्वतीय विकास मंत्रालय स्थापित करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि केंद्र पर्यावरण प्रतिपूर्ति के रूप में हर साल उत्तराखंड के 10 हजार करोड़ रुपये दे ।
शिखर सम्मेलन में हिमाचल के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने हिमालयी राज्यों से अपील की कि वे हिमालयी क्षेत्रों में आ रहे मौसमी परिवर्तनों का मुकाबला करने के लिए संस्थागत ढांचा तैयार करने के लिए आगे आएं ताकि विभिन्न राज्यों में सरकारों द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दूसरे राज्यों को मिल सकें । उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में होने वाले शोधों की जानकारी को भी बांटा जाना चाहिए । धूमल ने जोर दिया कि हिमालयी राज्यों को आपस में तालमेल स्थापित करना होगा । हिमालय दुनिया के मौसम और पर्यावरण को अपने ढंग से प्रभावित करता है, इसलिए यहां होने वाले मौसमी बदलावों का असर भी विश्वव्यापी होगा ।
उन्होंने इस मुद्दे पर शिमला घोषणापत्र जारी करते हुए टिकाऊ हिमालयी विकास पर एक साझा फोरम बनाने की अपील की जिस पर शिखर सम्मेलन ने अपनी मंजूरी की मुहर लगा दी । सम्मेलन में मौसमी परिवर्तनांे से पड़ रहे प्रभावों पर शोध कार्यों में तेजी लाने, जल स्रोतों के प्रबंधन, शहरीकरण की चुनौतियों से निपटने, परिवहन व्यवस्था, पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन के साथ-साथ हरियाली को एक उद्योग और व्यवसाय के रूप में प्रमोट करने का संकल्प व्यक्त किया गया ।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने केंद्र में पर्वतीय विकास मंत्रालय के गठन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि इस विभाग के गठन से ही केंद्रीय स्तर पर हिमालय के लिए अलग एवं विशिष्ट नियोजन का ढांचा तैयार हो सकेगा । उन्होंने चिंता व्यक्त की कि हिमालय जो चेतावनी दे रहा है उसे दिल्ली में भी गौर से सुना जाना चाहिए । उन्होंने कहा कि हिमालयी राज्य देश के प्रदूषण को नियंत्रित करने में जो अमूल्य योगदान दे रहे हैं उसकी प्रतिपूर्ति करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कोई वैज्ञानिक मैकेनिज्म विकसित किया जाना चाहिए । केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने कहा कि हिमालय क्षेत्र में हो रहे जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लेते हुए प्रधानमंत्री जल्द ही हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ विचार विमर्श करने वाले हैं ।
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