- कुंभ मेले के आयोजन पर भले ही भाजपा आलाकमान ने अपने मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की पीठ थपथपाई हो पर आलाकमान को साधने का यह मैनेजमेंट मंत्र जनता को नहीं साध पा रहा है। इंडिया टुडे का सर्वे बताता है कि न तो शुद्ध लोकप्रियता के मामले में वह राज्य के भीतर कोई कमाल दिखा पाए हैं और न राज्य के बाहर उनकी कोई पहचान बन पाई है।
- हाल में लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को छोड़ दे ंतो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री कई कारणों से चर्चा में रहे हैं। कभी वह कुंभ के आयोजन को लेकर चर्चा में रहे हैं तो कभी कुंभ के लिए उनका नाम नोबेल पुरुष्कार के लिए उछाले जाने के कारण चर्चा में रहा है। कभी वह अपने काव्य संग्रहों और उपन्यासों के जरिये मीडिया में छाए रहते हैं तो कभी पर्यटन पर किताब लिखने के लिए।मुख्यमंत्री की व्यस्तताओं के बीच उनका लिखने के लिए समय निकालना लोगों को चकित करता है। वह पत्रकार रह चुके हैं इसलिए बड़े अखबार और चैनलों के खबरनवीसों से उनकी काफी छनती है। उनके मीडिया मैनेजमेंट को अब तक का सबसे बढ़िया और महंगा मीडिया मैनेजमेंट माना जाता है। लेकिन इंडिया टुडे के सर्वे के नतीजे जो बता रहे हैं वे भाजपा के लिए अच्छी खबर नहीं हैं।उनका बेहतरीन मैनेजमेंट लोकप्रियता के आंकड़ों में नहीं बोल रहा।इसका सीधा अर्थ यह है कि मैनेजमेंट की ये सारी कवायदें वोटर के मन को जीत पाने में नाकाम हो रही हैं। जाहिर है कि चुनाव में मैनेजमेंट का कोई अर्थ नहीं है वहां तो वोटर का ही हुक्म चलेगा। वोटर के लिए इस बात का कोई मतलब नहीं है कि किस मुख्यमंत्री के खिलाफ खबर नहीं छपी या किस सरकार के खिलाफ न्यूज चैनलों में खबर नहीं आईं। लोकसभा चुनाव के नतीजों ने बताया कि राज्य के लोग अखबार पढ़कर वोट नहीं देते और न उनके फैसले पर चैनलों का कोई असर होता है। इंडिया टुडे के सर्वे ने भाजपा के लिए चेतावनी जारी कर दी हैं। जनरल खंडूड़ी यदि भाजपा के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री बने हुए हैं तो यह उनकी छवि के चलते ही मुमकिन हो पाया है।ये नतीजे बताते हैं कि जिस तरह से प्रदेश में सत्ता विरोधी रुझान बढ़ रहा है उससे कोई चमत्कार ही भाजपा को बचा सकता है।
सोमवार, 30 अगस्त 2010
Uttrakhand News
इंडिया टुडे का सर्वे निशंक के लिए झटका
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